संसार: भवसागर का गहरा सागर

संसार: भवसागर का गहरा सागर

संसार को प्राचीन भारतीय दर्शन में अक्सर “भवसागर” कहा जाता है—एक ऐसा सागर जो अनंत गहराइयों और अनगिनत रहस्यों से भरा है। यह न केवल एक रूपक है, बल्कि जीवन की जटिलता, उसकी अनिश्चितता और उसमें निहित संभावनाओं का प्रतीक भी है। भवसागर का अर्थ है “जन्म और मृत्यु का चक्र” जिसमें हर प्राणी तैर रहा है, कभी किनारा ढूंढता हुआ, तो कभी लहरों की थपेड़ों में खोया हुआ।

गहराई का अनुभव

संसार का यह सागर साधारण जलराशि नहीं है। इसकी गहराई में सुख-दुख, आशा-निराशा, प्रेम-घृणा जैसे अनगिनत भाव निहित हैं। जब हम इसमें डुबकी लगाते हैं, तो कभी सतह पर तैरती सूर्य की किरणों को देखते हैं, तो कभी अंधेरे तल में खो जाते हैं। यह सागर हमें सिखाता है कि जीवन स्थिर नहीं है—हर पल एक नई लहर आती है, जो हमें या तो ऊपर उठाती है या नीचे खींच ले जाती है।

तैरने की कला

क्या इस भवसागर को पार करना संभव है? शायद हां, शायद नहीं। लेकिन एक बात निश्चित है—इसमें डूबना या तैरना हमारे हाथ में है। जो लोग इसे केवल एक बोझ मानते हैं, वे लहरों से लड़ते-लड़ते थक जाते हैं। वहीं, जो इसे एक यात्रा समझते हैं, वे हर लहर के साथ तालमेल बिठाना सीखते हैं। यही कला है जो हमें संसार के इस सागर में संतुलन देती है—न बहुत ऊंची उड़ान की चाह, न बहुत गहराई में डूबने का डर।

किनारे की खोज

कहते हैं कि भवसागर का किनारा “मोक्ष” है—वह अवस्था जहां जन्म-मृत्यु का चक्र थम जाता है। लेकिन क्या यह किनारा वास्तव में कोई स्थान है, या एक मानसिक स्थिति? शायद यह सागर बाहर नहीं, बल्कि हमारे भीतर है। जब हम अपनी इच्छाओं, आसक्तियों और भय को समझ लेते हैं, तो शायद किनारा अपने आप दिखाई देने लगे। यह खोज बाहर की यात्रा से ज़्यादा भीतर की तलाश है।

सागर का संदेश

संसार का यह भवसागर हमें डराता भी है और प्रेरित भी करता है। यह हमें याद दिलाता है कि हम अकेले नहीं हैं—हर प्राणी इस सागर का यात्री है। कोई तेजी से तैर रहा है, कोई धीरे-धीरे बह रहा है, और कोई किनारे की ओर बढ़ रहा है। लेकिन सबके लिए यह सागर एक जैसा नहीं है—हर किसी की लहरें अलग हैं, हर किसी का अनुभव अनूठा है।

अंत में

भवसागर हमें सिखाता है कि जीवन को जितना समझने की कोशिश करेंगे, उतना ही वह रहस्यमयी बना रहेगा। शायद यही इसकी सुंदरता है—एक ऐसा सागर जो कभी समाप्त नहीं होता, पर हर पल कुछ नया सिखा जाता है। तो आइए, इस सागर में डुबकी लगाएँ, तैरें, और इसे जी भर कर जिएं—क्योंकि यही तो संसार है।

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