
ब्रह्मांड (Universe)
जैसे साइंस ने हमारे सौरमंडल, पृथ्वी, आकाशगंगा और सुपर कलस्टर इत्यादि थे आम तौर पर गुरुत्वाकषर्ण से बंधे होते है। कुछ आकाशगंगा समूह 200 मिलियन प्रकाश वर्ष तक फैले होते है। यदि हम पीपल रूपी उल्टे वृक्ष के मैप के अनुसार सभी पत्तों में हमारा भी एक पत्ता रूपी ब्रह्मांड वैसे तो अनेकों पत्ते और अनेको ब्रह्मांड है। जिसकी अपनी समय अवधि होती है। जैसे एक समय के बाद पतझड़ में वृक्षों के पत्ते झड़ जाते है। वैसे ही ब्रह्मांड रूपी पत्ता संसार रूपी वृक्ष से नष्ट हो जाता है। फिर दूसरा ब्रह्मांड (पत्ता) का विस्तार होता है। जिसमे दुबारा से ग्रह, सौरमंडल, आकाशगंगा, आकाशगंगा समूह बनते है और जीवन पनपता है। फिर यू ही जीवन चक्कर चलता रहता है। एक अनंत और रहस्यमय विस्तार ब्रह्मांड हमारे अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसके बारे में जानना हमारे लिए बहुत रोचक हो सकता है। ब्रह्मांड का रहस्यमय विस्तार है। जिसके अरबो गलैक्सिया, तारे और ग्रह है। इस लेख में हम ब्रह्मांड के बारे में कुछ रोचक तथ्यों और अवधारणाओं पर चर्चा करेंगे। ब्रह्मांड का आकार और विस्तार ब्रह्मांड के आकार और विस्तार एक बहुत ही जटिल और रहस्यमय विषय है। वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार ब्रह्मांड का व्यास लगभग ९३ अरब प्रकाश वर्ष है। और इसका आयतन लगभग 4. 2*10 ^ 80 मीट ^ 3 है। लेकिन यह आकार और विस्तार अभी भी एक अनुमान है। और वैज्ञानिकों को अभी भी इसके बारे में बहुत कुछ सीखना है। ब्रह्मांड की उत्पत्ति ब्रह्मांड की उत्पत्ति एक बहुत रोचक और जटिल विषय है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ब्रह्मांड लगभग 13.8 अरब वर्ष पूर्व एक महाकाय विस्फोट से उत्पन्न हुआ था। जिसे बिग बैंग भी कहा जाता है इस विस्फोट से पहले ब्रह्मांड एक बहुत ही गर्म और घने अवस्था में था। और इसके बाद ही है विस्तारित होना शुरू हुआ। ब्रह्मांड का रहस्य ब्रह्मांड में बहुत सारे रहस्य है। जो अभी भी वैज्ञानिकों को आकर्षित करते हैं। इनमें कुछ प्रमुख रहस्य है: डार्क मैटर : एक प्रकार का पदार्थ है। जो ब्रह्मांड में व्यापत है लेकिन इसका कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है। डार्क एनर्जी: यह एक प्रकार की ऊर्जा है। जो ब्रह्मांड के विस्तार को बढ़ावा देती है। लेकिन इसका भी कोई प्रत्याशी प्रमाण नहीं है। ब्लैक होल्स : यह एक प्रकार के खगोलिय पिंड है। जो इतने घने होते है। कि उनके गुरुत्वाकपर्ण से कुछ भी बच नहीं सकता है। ब्रह्मांड में हमारी पृथ्वी, अन्य ग्रह और उपग्रह है। जो एक दूसरे के गुरुत्वाकपर्ण बल से ठीके हुए है। यदि हम अपने पृथ्वी के विस्तार की बात करें तो यह भूमधय रेखा के चारों ओर उसका विस्तार 40 हजार 75 किलोमीटर तक फैला है। हमारी पृथ्वी से चांद की दूरी 3 लाख 84 हजार किलोमीटर बताई गई है। जो हमारी पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता हुआ। पूरे सौरमंडल के साथ गैलेक्सी के चारों और चक्कर लगाता है। हमारे तोर (सूर्य) से हमारे पृथ्वी की दूरी 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर है। पृथ्वी हमारे तारो के चारों ओर चक्कर लगाकर गैलेक्सी (आकाशगंगा) में घूम रही है। हमारे सौरमंडल में अनेकों ग्रह है जो सूर्य (तारो) के साथ आकाशगंगा के ब्लैक होल का चक्कर लगा रहे है। यदि हम अपने सौरमंडल और उसमें अनेकों ग्रहों की बात करे तो। हमारा सौरमंडल विज्ञान के अनुसार एक लाइट ईयर बड़ा है। पूरे लाइट ईयर में साइंस कहती है। करीब 95 खराब किलोमीटर होते है। यानि एक वर्ष में लाइट कितनी दूरी तय करती है। उसको लाइट ईयर कहते हैं एक लाइट ईयर में प्रकाश 9.46 बिलियन किलोमीटर की दूरी तय करती है 94.60 या 95 खराब किलोमीटर भी कह सकते है। हमारे पृथ्वी सूर्य के चारो ओर 30 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से चक्कर लगाती है। और अपने अक्ष पर 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है। पृथ्वी अन्य ग्रह और सूर्य, हमारी आकाशगंगा के केंद्र के चारों और लगभग 200 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार में परिक्रमा कर रहे है। जिसमें अन्य चंद्रमाओं और शुद्ध ग्रह के साथ मिल्की वे आकाशगंगा के केंद्र का चक्कर लगाता है। इसके बाद हमारी मंदाकिनी आकाशगंगा अपने समूह की आकाशगंगा के साथ ब्रह्मांड में चक्कर लगाती रहती है। इसका समय बहुत लंबा है जो अरबो-खरबो वर्ष है। और रफ्तार भी बहुत ज्यादा है। निष्कर्ष :- अब निष्कर्ष की बात कर तो हमारे जो वेद शास्त्रों ने जो संसार रूप उल्टे वृक्ष का नक्शा (मैप) बताया है। उसके एक पत्ते में इतना मैटर है जो युगो-युगो से चलाता जा रहा है। ब्रह्मांड के रहस्यो को समझने से हमें अपने अस्तित्व के बारे में अधिक जानने में मदद मिल सकती है। हमारे सारे ग्रह, सौरमंडल, आकाशगंगा समूह को ग्रन्थों-शास्त्रों ने संसार रूपी वृक्ष के एक पत्ता रूप बताया है। साइंस के अनुसार भी मल्टीयर यूनिवर्स है। जो अनेकों पत्तो रूपी ब्रह्मांड के विस्तार के रूप में वर्णन किया गया है।